कुँवर नारायण की कविता संग्रह: तीसरा सप्तक - शाहज़ादे की कहानी

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Teesra Saptak : Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: तीसरा सप्तक - शाहज़ादे की कहानी

शाहज़ादे की कहानी
कभी बचपन में सुनी थी
शाहज़ादे की कहानी
याद आता है...

समुन्दर पार कैसे दानवी
माया-नगर में वह बिचारा
भूल जाता है,
भटकता, खोजता, पर अन्त में
राजी ख़ुशी घर
लौट आता है :

`
आज पर जब एक दानव
शिशु मनोरथ के घरौंदे
रौंद जाता है
न जाने क्‍यों सदा को एक नाता
इस व्यथा का उस कथा से
टूट जाता है,
और मुझ को कहीं समयातीत
हो जाना
अधिक भाता है ।
 

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