Hindi Kavita
हिंदी कविता
Teesra Saptak : Kunwar Narayan
कुँवर नारायण की कविता संग्रह: तीसरा सप्तक - रात चितकबरी
रात चितकबरी
चाँदनी सित रात चितकबरी,
डसे भूखंडकी गंजी सतह पर
खोह से खंडहर,
कपालों में धंसा ज्यों रेंगता मनहूस अँधियारा :
अचानक चौंक कर
बुत छाँव में दो पंख फड़के,
ज्यों किसी स्मृति ने ;
कँगूरों पर खड़े हो
दूर को मेहराब में घुसती हुई
प्रेतात्माओं को पुकारा :
“प्यार की अतृप्त खंडित आत्मा !
आश्वस्त हो-
वह दर्द जीवित है तुम्हारा !”
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