Hindi Kavita
हिंदी कविता
Teesra Saptak : Kunwar Narayan
कुँवर नारायण की कविता संग्रह: तीसरा सप्तक - लुढ़क पड़ी छाया
लुढ़क पड़ी छाया
चाँद से ठुढ़की पड़ी छाया घनी,
एक बूढ़ी रात ओढ़े चाँदनी;
एक फीकी किरण सूजी लाश पर,
स्वप्न कोई हँस रहा आकाश पर;
देह से कुल भूख ग़ायब, कुलबुलाती आँत;
खोपड़ी से देह ग़ायब, खिलखिलाते दाँत :
एक सूखा फूल ठंडी क़ब्र पर,
एक करुणादृष्टि लाखों सब्र पर...
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