कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - ज़रूरतों के नाम पर

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Apne Saamne - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - ज़रूरतों के नाम पर

ज़रूरतों के नाम पर
क्‍योंकि मैं ग़लत को ग़लत साबित कर देता हूं
इसलिए हर बहस के बाद
ग़लतफ़हमियों के बीच
बिलकुल अकेला छोड़ दिया जाता हूं
वह सब कर दिखाने को
जो सब कह दिखाया
वे जो अपने से जीत नहीं पाते
सही बात का जीतना भी सह नहीं पाते
और उनकी असहिष्णुता के बीच
में किसी अपमानजनक नाते की तरह
वेमुरौव्वत तोड़ दिया जाता हूँ ।
प्रत्येक रोचक प्रसंग से हटाकर,
शिक्षाप्रद पुस्तकों की सुची की तरह
घरेलू उपन्यासों के अन्त में
लापरवाही से जोड़ दिया जाता हूँ ।

वे सब मिलकर
मेरी बहस की हत्‍या कर डालते हैं
ज़रूरतों के नाम पर
और पूछते हैं कि ज़िन्दगी क्‍या है
ज़िन्दगी को बदनाम कर ।
 

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