कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - तीन - दिल्ली की तरफ़

Hindi Kavita

Hindi Kavita
हिंदी कविता

Kunwar-Narayan-kavita

Apne Saamne - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - तीन - दिल्ली की तरफ़

तीन
दिल्ली की तरफ़
जिधर घुड़सवारों का रुख हो
उसी ओर घिसटकर जाते हुए
मैंने उसे कई बार पहले भी देखा है।

दोनों हाथ बंधे, मज़बूरी में, फिर एक बार
कौन था वह? कह नहीं सकता
क्योंकि केवल दो बंधे हुए हाथ ही
दिल्ली पहुँचे थे।
 

(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Kunwar Narayan) #icon=(link) #color=(#2339bd)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!