कुँवर नारायण की कविता संग्रह: कोई दूसरा नहीं - स्पष्टीकरण

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Apne Saamne - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: कोई दूसरा नहीं - स्पष्टीकरण

स्पष्टीकरण
ग़लत से ग़लत वक़्त में भी
सही से सही बात कही जा सकती है।
हम थोड़ी देर के लिए
स्थगित कर सकते हैं युद्ध,
महत्त्व दे सकते हैं अपने भयभीत होने को,
स्वीकार कर सकते हैं अपनी बदहवासी,
एक बार, कम से कम एक बार तो
काँप सकते हैं हमारे हाथ,
हम चीख सकते हैं कि “नहीं
ये सब पराये नहीं मेरे हैं,
मैं इन्हें नहीं मार सकता,
मैं युद्ध नहीं करूँगा...”

ऐसी विषम घड़ी में हमारे अन्तःकरण
कम से कम एक बार तो
बना सकते हैं ईश्वर को साक्षी-
माँग सकते हैं उससे भी स्पष्टीकरण...
 

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