कुँवर नारायण की कविता संग्रह: कोई दूसरा नहीं - पुनश्‍च

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Apne Saamne - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: कोई दूसरा नहीं - पुनश्‍च

पुनश्‍च
मैं इस्‍तीफा देता हूं
व्‍यापार से
परिवार से
सरकार से
मैं अस्‍वीकार करता हूं
रिआयती दरों पर
आसान किश्‍तों में
अपना भुगतान
मैं सीखना चाहता हूं
फिर से जीना...
बच्‍चों की तरह बढ़ना
घुटनों के बल चलना
अपने पैरों पर खड़े होना
और अंतिम बार
लड़खड़ा कर गिरने से पहले
मैं कामयाब होना चाहता हूं
फिर एक बार
जीने में
 

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