कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - प्यार और बेला के फूल

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Parivesh : Hum-Tum - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - प्यार और बेला के फूल

प्यार और बेला के फूल
काश कि तुम भूली रहतीं
अपनी सुन्दरता
जिसे तुमसे अधिक मुझे चाहना चाहिए,
और दर्पण में जो तुम्हें दीखता
वह तुम ही नहीं
मेरा विनम्र मन भी होता....

तब शायद उन रेखाओं का भरा-पूरा रूप
विश्वास भर पा सकता,
इतना अच्छा,
जैसे एक ही आँचल में
प्यार और बेला के फूल।
 

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