कुँवर नारायण की कविता संग्रह: इन दिनों - काफ़्का के प्राहा में

Hindi Kavita

Hindi Kavita
हिंदी कविता

Kunwar-Narayan-kavita

In Dino - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: इन दिनों - काफ़्का के प्राहा में

काफ़्का के प्राहा में
एक उपस्थिति से कहीं ज़्यादा उपस्थित
हो सकती है कभी-कभी उसकी अनुपस्थिति

एक वर्तमान से ज़्यादा जानदार
और शानदार हो सकता है उसका अतीत

एक शहर की व्यस्त दैनन्दिनी से
अधिक पठनीय हो सकते हैं
उसकी डायरी के पुराने पन्‍ने

एक अपरिचित भीड़ में भटकने से
ज़्यादा रोमांचक हो सकती है
उसकी प्राचीनताओं में बसी
सदियों पुरानी आत्माओं की आवभगत

बाज़ार की चौंधिया देनेवाली जगमगाहट के बीच
अचानक संगीत की एक उदास ध्वनि में
हम पा सकते हैं
उसके वैभव की एक ज़्यादा सच्ची पहचान

कभी-कभी एक ज़िन्दगी से
ज़्यादा अर्थपूर्ण हो सकती हैं
उस पर टिप्पणियाँ
एक प्रेम से ज़्यादा मधुर हो सकती हैं
उसकी स्मृतियाँ

एक पूरी सभ्यता की वीरगाथाओं से
कहीं अधिक सारगर्भित हो सकती है
एक स्मारक की संक्षिप्त भाषा।
 

(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Kunwar Narayan) #icon=(link) #color=(#2339bd)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!