कुँवर नारायण की कविता संग्रह: चक्रव्यूह - मैं जानता हूँ

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Chakravyuh : Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: चक्रव्यूह - मैं जानता हूँ

मैं जानता हूँ
मैं जानता हूँ तुम धनाढ्य हो,
और मैं एक भिखमंगे का सवाल हूँ :

हज़ारों आवाज़ें, हज़ारों चुप्पियाँ
बेदर्द यही कहती हैं,
"आगे बढ़ो...यहां क्‍या है।"
और मैं मानो
अज्ञात दिशा में नए दरवाज़ों की ओर
एक नाउम्मीद चाल हूँ :

मेरी बेअसर पुकारें
किसी हमदर्द को ढूँढ़ती ही रहीं,
बारबार यही लगा
कि जिसे कोई नहीं जानता
तुम वो पता हो,
और जिसे किसी ने न सुना
मैं वो हाल हूँ।
 

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