कुँवर नारायण की कविता संग्रह: तीसरा सप्तक - ये पंक्तियाँ मेरे निकट

Hindi Kavita

Hindi Kavita
हिंदी कविता

Kunwar-Narayan-kavita

Teesra Saptak : Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: तीसरा सप्तक - ये पंक्तियाँ मेरे निकट

ये पंक्तियाँ मेरे निकट
ये पंक्तियाँ मेरे निकट आईं नहीं
मैं ही गया उनके निकट
उनको मनाने,
ढीठ, उच्छृंखल अबाध्य इकाइयों को
पास लाने :

कुछ दूर उड़ते बादलों की बेसंवारी रेख,
या खोते, निकलते, डूबते, तिरते
गगन में पक्षियों की पांत लहराती :
अमा से छलछलाती रूप-मदिरा देख
सरिता की सतह पर नाचती लहरें,
बिखरे फूल अल्हड़ वनश्री गाती...

... कभी भी पास मेरे नहीं आए :
मैं गया उनके निकट उनको बुलाने,
गैर को अपना बनाने :
क्योंकि मुझमें पिण्डवासी
है कहीं कोई अकेली-सी उदासी
जो कि ऐहिक सिलसिलों से
कुछ संबंध रखती उन परायी पंक्तियों से !
और जिस की गांठ भर मैं बांधता हूं
किसी विधि से
विविध छंदों के कलावों से।
 

(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Kunwar Narayan) #icon=(link) #color=(#2339bd)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!