"दो पल का जीवन"
यह दो पल का जीवन मेरा,
कांटो सा चुभता है।
जब भी मेरी आंखों को,
वह चेहरा दिखता है।।
हर क्षण हर लम्हा मेरा,
गुजरा जो साथ तुम्हारे।
सब जाने क्यों रह रह कर अब,
नागिन सा डसता है।।
था सुना समय के संग संग,
राहें बदला करती हैं।
उन राहों के संग संग,
इंसान बदलता है।।
सोचा करता हूं मैं भी अब,
तुम याद नहीं आओगे।
पर आंखे बन्द किया ज्यों ही,
दिल एक न सुनता है।।
आ जाता चेहरा उनका यूं,
आंखों में पानी बन कर।
जैसे लहरें थामे सागर,
आगे बढ़ चलता है।।
अब तो उनकी यादें भी,
आंखों तक आती हैं।
कुछ देर ठहरता आंसू,फिर
घनघोर बरसता है।।
झूठी सी मुस्कान लिए,
होठों पर, फिरता हूं।
तुम होते तो हाल पूछते,
दिल यह कहता है।।
क्या बतलाएं जीवन की,
जब दिल में तुम आए थे।
हर चीजें लगती थी प्यारी,
अब जीवन कटता है।।
चल दुनिया से हट कर हम,
एक दुनिया नई बनाएं।
वो जहां, जहां जाकर
कोई भी,लौट न पाता है।।