प्रेम का उपहार - प्रेम ठक्कर | Prem ka Uphar - Prem Thakker

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"प्रेम का उपहार"

सुनो दिकु...
वह प्रेम आज भी मेरे हृदय में स्मृति का शृंगार है
जो तुम ने कभी मुज़ से किया था
आज भी याद है,
एहसासों का वह खूबसूरत उपहार, जो तुम ने मुजे दिया था

वह तेजस्वी आँखें
जिन की चमक मेरे मस्तिष्क पर छाई थी
वह तुम्हारे हाथों की कोमल उंगलियाँ
प्रत्यक्ष ना होकर भी जिस ने मेरे दिल में,
अपनी एक तस्वीर बनाई थी

हर-पल, हर-घड़ी, हर-लम्हाँ
में फक्त तुम में ही जिया था
कुछ इस तरह, तुम ने मेरा दिल अपने नाम किया था
आज भी याद है,
एहसासों का वह खूबसूरत उपहार, जो तुम ने मुजे दिया था

निःसंदेह, तुम्हारा प्रेम मेरे लिए आज भी बेमिसाल है
परन्तु जाते समय दो लफ्ज़ भी क्यों ना कह पाई
दिल में उठ रहा बस यही एक सवाल है

पर तुम फिक्र ना करना
किसी भी परिस्थिति मे,
में अपना प्रेम अंतिम श्वास तक निभाउंगा
परोक्ष रहकर भी में तुम से कभी दूर ना हो पाऊंगा

क्योंकि
एक समय था जब,
तुम ने अपना सम्पूर्ण मन मुजे सौंप दिया था
आज भी याद है,
एहसासों का वह खूबसूरत उपहार, जो तुम ने मुजे दिया था
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*

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