कुँवर नारायण की कविता संग्रह: इन दिनों - जख़्म

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In Dino - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: इन दिनों - जख़्म

जख़्म
इन गलियों से
बेदाग़ गुज़र जाता तो अच्छा था

और अगर
दाग़ ही लगना था तो फिर
कपड़ों पर मासूम रक्त के छींटे नहीं

आत्मा पर
किसी बहुत बड़े प्यार का जख़्म होता
जो कभी न भरता
 

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