कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - रास्ते (फतेहपुर सीकरी)

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Apne Saamne - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - रास्ते (फतेहपुर सीकरी)

रास्ते (फतेहपुर सीकरी)
वे लोग कहाँ जाने की जल्दी में थे
जो अपना सामान बीच रास्तों में रखकर भूल गए हैं?
नहीं, यह मत कहो कि इन्हीं रास्तों से
हज़ारों-हज़ारों फूल गए हैं...
वह आकस्मिक विदा (कदाचित व्यक्तिगत !)
जो शायद जाने की जल्दी में फिर आने की बात थी।

ये रास्ते, जो कभी खास रास्ते थे,
अब आम रास्ते नहीं।
ये महल, जो बादशाहों के लिए थे
अब किसी के वास्ते नहीं।

आश्चर्य, कि उन बेताब ज़िन्दगियों में
सब्र की गुंजाइश थी...
और ऐसा सब्र कि अब ये पत्थर भी ऊब रहे हैं।
 

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