कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - एक हरा जंगल

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Apne Saamne - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - एक हरा जंगल

एक हरा जंगल
एक हरा जंगल धमनियों में जलता है।
तुम्हारे आँचल में आग...
चाहता हूँ झपटकर अलग कर दूँ तुम्हें
उन तमाम संदर्भों से जिनमें तुम बेचैन हो
और राख हो जाने से पहले ही
उस सारे दृश्य को बचाकर
किसी दूसरी दुनिया के अपने आविष्कार में शामिल
कर लूँ ।
लपटें
एक नए तट की शीतल सदाशयता को छूकर
लौट जाएँ।
 

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