कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - बदलते सन्दर्भ

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Parivesh : Hum-Tum - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - बदलते सन्दर्भ

बदलते सन्दर्भ
यह एक स्नेह-वल्लरी
जो उठी
और फूल ही फूल हुई,
मौँगती रही केवल अपना निसर्ग
किरण का प्यार-
बदले में देती रंग, रूप, गन्ध, स्पर्श,
दिशाओं भर आत्मोत्सर्ग।

आह, मत झिझको,
यही सुख कदाचित्‌ वह प्रथम अनुभव हो
जिसे आरम्भ करते
सृष्टि रोमांचित हुई थी!
ठहरने से यही पहली भोर
अन्तिम साँझ बन सकती।

किरण के रास्तों पर
रात गुमसुम
विभाजन करती-
वही सब कुछ,
बदलते
सन्दर्भ : हम तुम
 

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