तुम्हारी यादें - प्रेम ठक्कर | Tumhari Yaadey - Prem Thakker

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"तुम्हारी यादें"

सुनो दिकु...

मुज़ से लोग पूछते है
इतने आंसू रोज़ कहाँ से आ जाते है
उसका जवाब है

जिस तरह पानी का घड़ा भर रहा है
और एक समय वह छलक जाता है
क्योंकि घड़ा अपना कद नहीं बढ़ा सकता

बस उसी तरह तुम्हारी यादें 
पानी की तरह हरदम आती है
और वह आंसुओ के रूप में छलक जाती है

मेरे पास तुम्हारी यादों का समंदर है
जो कभी खत्म नहीं हो सकता
प्रेम की तुम जीवनी हो
उसे वह कभी नहीं खो सकता

तुम्हारी यादें भले ही समंदर जितनी है
पर वह यादों के पानी को में खारा नहीं होने दूंगा
चाहे जितने भी तूफान क्यों ना आ जाये प्रेम के जीवन में
में अपनी मोहब्बत को किनारा नहीं होने दूंगा

तुम कभी यह देखो तो बोर ना हो जाओ 
इसलिये हररोज़ कुछ नया लिखने की कोशिश करता हूँ
में तुम्हें कल भी प्यार करता था
में तुम्हें अब भी प्यार करता हूँ



*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*

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