दिकुप्रेम मिलन समय - प्रेम ठक्कर | Tikkuprem Milan Samay - Prem Thakker

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"दिकुप्रेम मिलन समय"

सुनो दिकु......

समय अब नज़दीक आ रहा है

बड़ी बेचैनी सी हो रही है
सांसो की धड़कने और भी बढ़ रही है
क्या होगा, कैसे होगा, मेरा मन नही समझ पा रहा है
क्योंकि समय अब नज़दीक आ रहा है

कोई योजना नही मेरे पास ना ही किसी की मदद है
तुम तक कैसे पहोचाऊं मेरी बात
यह परिस्थिति बहुत ही विकट है
मुजे कुछ भी नही दिख रहा तुम्हारे सिवा
बस आखों के सामने घना सा अंधेरा छा रहा है
क्योंकि समय अब नज़दीक आ रहा है

तुम बेखबर हो मेरी इन मुश्केलियों से
में पूरी तरह से वाकिफ हूँ तुम्हारी मजबूरियों से
क्या तुम्हें भी मेरी तरह हमारी जुदाई का गम सता रहा है?
अगर हां तो याद रखो, समय अब नज़दीक आ रहा है

शायद तुम मुज से ना मिल पाओ
अगर देखो दूर से तो तुम कहीं छिप जाओ
में तुम्हें बस खुश देखने के अलावा कुछ भी नही चाहता
पर क्या इस बार मे, में तुम्हें देख पाऊंगा?
या पहले की तरह तुम्हारे शहर से खाली ही लौट आऊंगा
यही सोचकर मेरा मन बेहद गभरा रहा है

क्योंकि दिकु तुम से मिलने की आखरी कोशिश का समय अब नज़दीक आ रहा है

*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*

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