रहने देते हैं - अभिषेक मिश्र | Rehne Dete Hai - Abhishek Mishra

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"रहने देते हैं"

जानते हैं हम हकीकत,फिर भी उन्हें कहने देते हैं,
जज्बात है दिल में बहुत,मगर छोड़ो रहने देते हैं।

समझदारों की दुनिया में ,शायद हम्हीं एक नादान है।
मन के भीतर उठता, एक अजीब सा तूफान है।
आँखों में है स्नेहिल अश्रु,इसलिए इन्हें बहने  देते हैं।
जज्बात  है दिल में बहुत,मगर छोड़ो रहने देते हैं।।

एक ही तो दिल है, चाहता उन्हीं की खुशी है।
रिश्ता तो है दोस्ती ,मगर उसमें भी बेरुखी है।
गुरुर है शायद उन्हें ,हम कुछ भी कहने देते हैं।
जज्बात है दिल में बहुत,मगर छोड़ो रहने देते हैं।।

ज़िन्दगी में किसी मोड़ पे ,उनसे मिलेंगे जो हम,
पूछेंगे हमारे न रहने से ,उन्हें क्या है कोई गम?
इस दिल को दर्द-ए-जुदाई ,अब सहने देते हैं।
जज्बात  है दिल में बहुत,मगर छोड़ो रहने देते हैं।।
                        
अभिषेक मिश्र -

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