क़सम इन आँखों की जिन से लहू टपकता है - अख़्तर अंसारी

Hindi Kavita

Hindi Kavita
हिंदी कविता

akhtar-ansari-ki-gazal

Akhtar Ansari ki Selected Gazal

क़सम इन आँखों की जिन से लहू टपकता है - अख़्तर अंसारी

क़सम इन आँखों की जिन से लहू टपकता है
मेरे जिगर में इक आतिश-कदा दहकता है

गुज़िश्ता काहिश ओ अंदोह के ख़याल ठहर
मेरे दिमाग़ में शोला सा इक भड़कता है

किसी के ऐश-ए-तमन्ना की दास्ताँ न कहो
कलेजा मेरी तमन्नाओं का धड़कता है

इलाज-ए-‘अख़्तर’-ए-ना-काम क्यूँ नहीं मुमकिन
अगर वो जी नहीं सकता तो मर तो सकता है.
 

(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Akhtar Ansari) #icon=(link) #color=(#2339bd)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!