अब वो सीना है मज़ार-ए-आरज़ू - अख़्तर अंसारी

Hindi Kavita

Hindi Kavita
हिंदी कविता

akhtar-ansari-ki-gazal

Akhtar Ansari ki Selected Gazal

अब वो सीना है मज़ार-ए-आरज़ू - अख़्तर अंसारी

अब वो सीना है मज़ार-ए-आरज़ू
था जो इक दिन शोला-ज़ार-ए-आरज़ू.

अब तक आँखों से टपकता है लहू
बुझ गया था दिल में ख़ार-ए-आरज़ू.

रंग ओ बू में डूबे रहते थे हवास
हाए क्या शय थी बहार-ए-आरज़ू.
 

(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Akhtar Ansari) #icon=(link) #color=(#2339bd)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!