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Kuppali Venkatappa Puttappa ka jeevan parichay
कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा का जीवन परिचय
Kuppali Venkatappa Puttappa | कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा (२९ दिसम्बर १९०४ - ११ नवम्बर १९९४) कन्नड़ लेखक एवं कवि थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के महानतम कन्नड़ कवि की उपाधि दी जाती है। ये कन्नड़ भाषा में ज्ञानपीठ सम्मान पाने वाले आठ व्यक्तियों में प्रथम थे। कुवेम्पु ने 30 अप्रैल 1937 को हेमवती से शादी की। उन्हें रामकृष्ण मिशन से बाहर इस संकाय में वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने के लिए मजबूर किया गया था। कुवेम्पु के दो बेटे हैं, पूर्णचंद्र तेजस्वी और कोकिलोडाय चैत्र, और दो बेटियां, इंदुकला और थारिनी। थारिनी का विवाह कुवेम्पु विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के. चिदानंद गौड़ा से हुआ है। मैसूर में उनके घर को उदयरवी कहा जाता है। उनके पुत्र पूर्णचंद्र तेजस्वी एक बहुज्ञ थे, जिन्होंने कन्नड़ साहित्य, फोटोग्राफी, सुलेख, डिजिटल इमेजिंग, सामाजिक आंदोलनों और कृषि में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
पुटप्पा ने सभी साहित्यिक कार्य उपनाम 'कुवेम्पु' से किये हैं। उनको साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९५८ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य श्रीरामायण दर्शनम् के लिये उन्हें सन् १९५५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कर्नाटक सरकार ने कुवेम्पु रचित 'जय भारत जननिय तनुजाते जयहे कर्नाटक माते' कविता को नाड गीत | (राज्य गीत) के रूप में स्वीकार कर अपनी श्रद्धा जताई है।(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd)