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श्रीधर पाठक का जीवन परिचय
Shridhar Pathak ka jeevan parichay
श्रीधर पाठक का जन्म ११ जनवरी १८५८ उत्तर प्रदेश में जौंवरी नाम गांव, तहसील-फ़िरोजाबाद, जिला- आगरा में पंडित लीलाधर के घर हुआ। श्रीधर पाठक सारस्वत ब्राह्मण परिवार एक सुसंस्कृत परिवार में उत्पन्न होने के कारण आरंभ से ही इनकी रूचि विद्यार्जन में थी। छोटी अवस्था में ही इन्होंने घर पर संस्कृत और फ़ारसी का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया। तदुपरांत औपचारिक रूप से विद्यालयी शिक्षा लेते हुए ये हिन्दी प्रवेशिका (१८७५) और 'अंग्रेजी मिडिल' (१८७९) परीक्षाओं में सर्वप्रथम रहे। श्रीधर पाठक की नियुक्ति राजकीय सेवा में हो गई। सर्वप्रथम उन्होंने जनगणना आयुक्त रूप में कलकत्ता के कार्यालय में कार्य किया। जनगणना के संदर्भ में इन्हें भारत के कई नगरों में जाना पड़ा। इसी दौरान इन्होंने विभिन्न पर्वतीय प्रदेशों की यात्रा की तथा इन्हें प्रकृति-सौंदर्य का निकट से अवलोकन करने का अवसर मिला। कालान्तर में अन्य अनेक कार्यालयों में भी कार्य किया, जिनमें रेलवे, पब्लिक वर्क्स तथा सिंचाई-विभाग। धीरे-धीरे श्रीधर पाठक अधीक्षक के पद पर पहुँचे। १३ सितंबर १९१४ में सेवा-निवृत्त होने के पश्चात ये स्थायी रूप से प्रयाग में रहने लगे। यहीं सन १९२८ में इनका देहावसान हो गया।
श्रीधर पाठक प्राकृतिक सौंदर्य, स्वदेश प्रेम तथा समाजसुधार की भावनाओ के हिन्दी कवि थे।
श्रीधर पाठक प्रकृतिप्रेमी, सरल, उदार, नम्र, सहृदय, स्वच्छंद त था विनोदी थे। श्रीधर पाठक हिंदी साहित्य सम्मेलन के पाँचवें अधिवेशन (1915, लखनऊ) के सभापति हुए और 'कविभूषण' की उपाधि से विभूषित भी। हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी पर उनका समान अधिकार था।
श्रीधर पाठक की रचनाएँ।
- मनोविनोद (भाग-१,२,३)
- धन विनय (१९००)
- गुनवंत हेमंत (१९००)
- वनाष्टक (१९१२)
- देहरादून (१९१५)
- गोखले गुनाष्टक (१९१५)
श्रीधर पाठक की अन्य रचनाएँ।
- बाल भूगोल
- जगत सचाई सार
- एकांतवासी योगी
- काश्मीरसुषमा
- आराध्य शोकांजलि
- जार्ज वंदना
- भक्ति विभा
- श्री गोखले प्रशस्ति
- श्रीगोपिकागीत
- भारतगीत
- तिलस्माती मुँदरी और विभिन्न स्फुट निबंध तथा पत्रादि। इनकी पहली रचना गुनवंत हेमंत है।
श्रीधर पाठक के अनुवाद
- ऋतुसंहार (कालिदास)
- एकांतवासी योग (हरमिट-गोल्डस्मिथ)
- ऊजड़ ग्राम (डेजर्टेड विलेज-गोल्डस्मिथ)
- श्रांत पथिक (ट्रैवलर - गोल्डस्मिथ)
श्रीधर पाठक की बाल कविताएँ |
Shridhar Pathak Ki Baal Kavita |
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उठो भई उठो - श्रीधर पाठक |
कुक्कुटी - श्रीधर पाठक |
सदेल छे आए - श्रीधर पाठक |
तीतर - श्रीधर पाठक |
बिल्ली के बच्चे - श्रीधर पाठक |
तोते पढ़ो - श्रीधर पाठक |
मैना - श्रीधर पाठक |
चकोर - श्रीधर पाठक |
मोर - श्रीधर पाठक |
कोयल - श्रीधर पाठक |
गुड्डी लोरी - श्रीधर पाठक |
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