विवाह-गीत खड़ी बोली Vivah Geet Khari Boli

Hindi Kavita

विवाह-गीत खड़ी बोली
Vivah Geet Khari Boli

अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो-विवाह–गीत

अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो

कँवर चौंरी चढ़ गयौ

होय लो न रुकमण सामणी 

-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया

लखिया सा बाबा मेरी सामणी।

तेरे बाबा को अपणी दादी दिला दूँ

होय लो न रुकमण सामणी।

 

-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया

लखिया सा ताऊ मेरी सामणी

तेरे ताऊ को अपणी ताई दिला दूँ

होय लो न रुकमण सामणी

 

-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया

लखिया सा भाई मेरी सामणी

तेरे भाई को अपणी बाहण दिला दूँ,

होय लो न रुकमण सामणी

 

-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया

लखिया सा बाबुल मेरी सामणी

तेरे बाबुल को अपणी अम्मा दिला दूँ

होय लो न रुकमण सामणी।

लड़की की इच्छाएँ-लाडो मँगणा हो

लाड्डो मँगणा हो सो माँग

राम रथ हाँक दिए।

 

मैं तो माँगूँ अयोध्या का राज

ससुर राजा दशरथ से ।

लाड्डो मँगना हो सो माँग

राम रथ हाँक दिए।

 

मैं तो माँगूँ कौशल्या –सी सास

देवर छोटे लछमन से ।

लाड्डो मँगना हो सो माँग

राम रथ हाँक दिए।

 

मैं तो माँगूँ श्रीभगवान

पलंगों पै बैठी राज करूँ ।

लाड्डो मँगना हो सो माँग

राम रथ हाँक दिए।

vivah-geet-khari-boli

भात का गीत-मेरठ जिले के मेरे भातड़िए

मेरठ जिले के मेरे भातड़िए ।

बीरा सब-सब भाती आ जइयो

मेरै एक न आइयो भावजिया ।

ओब्बो सब-सब भाती रहै गये

तेरी पीछै से आ गई भावजिया ।

बीरा सब-सब बरतन ले आइयो

बीरा सब-सब गहणे ले आइयो

मेरै एक न लाइयो गुँठड़िया

ओब्बो सब-सब गहणे भूल आया

मेरी जेब मैं आ गई गुँठड़िया ।

बीरा सब-सब कपड़े ले आइयो

मेरै एक न लाइयो धोतरिया ।

ओब्बो सब-सब कपड़े भूल आया

मेरी गठड़ी मैं आ गई धोतरिया ।

बीरा सब-सब बरतन ले आइयो

मेरै एक न लाइयो बाटड़िया ।

घटिया किस्म की खद्दर, बाटड़िया=बड़ी कटोरी)

बिदाई गीत-हेरी मेरा लम्बा सहेलियों का साथ

हेरी मेरा लम्बा सहेलियों का साथ

कि जिया न करै मेरा जाणै नै ।

हेरी मैं आई ससुर दरबार

सासड़ तो आई मुझै तारण नै

हेरी मैंने मुड़-मुड़ दाबे री पाँव

कि सीस न दिया उस बैरण नै ।

हेरी मैंन्नै पिस्या धड़ी भर चून

कि पीस लिया निरणों बासी नै

हेरी मेरी सासू बड़ी चकचाल

रोट्टी तो धर आई ताळे मैं

हेरी मैंन्नै छोटी नणद ली साथ

चढ़ गई पिया की अटारी हो ।

‘हे जी हमैं क्यूँ लाए थे निरभाग

रोट्टी न मिलै थारै खाणे नै।’

‘हेरी तौं चुप रहो मेरी नार

बरफ़ी तो ल्याया तेरे खाणे नै’।

हेरी मेरी नीचे से बोली सास –

बहू नै सिर पै बठ्या रह्या हो !

‘हेरी तू चुप रो मेरी माँ

घणे दिन रहली अकेली हो।’

बेट्टा ऐसे न बोल्लै तू बोल

बड़ा दुख ठाया तेरे होणे नै

हेरी अम्मा खाई थी सूँठ जवायण

बड़ी मस्ताई मेरे होणै नै ।

पिताजी काहे को (बिदाई गीत)

पिताजी काहे को ब्याही परदेस…

हम तो पिताजी थारे झाम्बे की चिड़िया

डळा मारै उड़ जाएँ,

काहे को ब्याही परदेस…

हम तो पिताजी थारे खूँटे की गउँवाँ

जिधर हाँको हँक जाएँ,

काहे को ब्याही परदेस…

हम तो पिताजी थारे कमरे ईंटें,

जिधर चिणों चिण जाएँ,

काहे को ब्याही परदेस…

मत करो मन को उदास (बिदाई गीत)

मत करो मन को उदास

मेरी अम्मा फिर से मिलूँगी ।

दादस अपनी को मैं दादी कहूँगी

मेरी अम्मा दादी न आवैगी याद,

मेरी अम्मा फिर से मिलूँगी ।

सासू को अपनी माता कहूँगी

मेरी अम्मा तुम न आओगी याद,

मेरी अम्मा फिर से मिलूँगी ।

ससुरे को अपने पिताजी कहूँगी

पिता नहीं आएँगे याद,

मेरी अम्मा फिर से मिलूँगी ।

नणदिया को अपनी बहना कहूँगी

मेरि अम्मा बहना न आएगी याद,

मेरी अम्मा फिर से मिलूँगी ।

काँकर उप्पर काँकरी (भात का गीत)

काँकर ऊपर काँकरी, मेरी मैया रे जाए

मैं थारै आई पावहणी

जो मेरा रखोगे मान रे, मेरी मैया रे जाए

 

-मान राखैगी तेरी मायड़ी

जिसकी तू लाडो धीयड़ रे

-मायों के राखै न रहै

बीरणों की लम्बी पंसाल रे, मेरी मैया रे जाए

 

-जिब हम घर के नित छोटे

जिब क्यूं नी करा था बुहार, मेरी मैया री जाए

-इब तुम घर के लखपति

इब हमनै कर्या बुहार रे राम, मेरी मैया रे जा

फलसे का गाड्डा बेच कै, मेरी मैया रे जाए

 

तौं मेरे मँढ़ा चढ़ आइ रे

फलसे का गाड्डा ना बिकै, मेरी मैया री जाइ

फलसे की सोभा जाइ रे राम

 

-खूँटे की भुरिया बेच कै मेरी मैया रे जाए

तौं मेरे मँढा चढ़ आवै

-खूँटे की भुरिया ना बिकै

खूंटे की सोभा जाइ रे, मेरी मैया री जाए

 

-भावज का हँसला बेचकै

तौं मेरे मँढा चढ़ आवै तौं मेरे मँढा चढ़ आवै

-भावज का हँसला ना बिकै

हँसला तो बहू के बाप का, मेरी मैया री जाए

लाड्डो पूछै बाबा से (बारात आगमन)

बारात आगमन का गीत

लाड्डो पूछै बाबा से ओ बाबा

मैं किस विध देखण जाऊँ, रंगीले आ उतरे बागों मैं ।

-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्डो

तुम मालाण बन कै, रंगीले आ उतरे बागों मैं ।

बोल गए बतळा गए बागों मैं

मेरी रंग भरी लाड्डो को नजर लगा गए बागों मैं।

लाड्डो पूछै ताऊ से ओ ताऊ

मैं किस विध देखण जाऊँ, रंगीले आ उतरे बागों मै।

-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्डो …

लाड्डो पूछै पिता से ओ पिता

मैं किस विध देखण जाऊँ, रंगीले आ उतरे बागों मै।

-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्डो

तुम मालाण बन कै, रंगीले आ उतरे बागों मैं ।

लाड्डो पूछै चाचा से ओ चाचा

मैं किस विध देखण जाऊँ, रंगीले आ उतरे बागों मै।

-हाथ डालिया फूलों की ऐ लाड्डो

तुम मालाण बन कै, रंगीले आ उतरे बागों मैं ।

अजी बाबा जी (फ़ेरों का गीत)

1

अजी बाबा जी अजी ताऊ जी

हमारे आप वर ढूँढो

सास हो जैसी गऊ माता

ससुर हों दिल्ली के दादा जी।

पति हों बाल ब्रह्मचारी

जो राखै प्राणों से प्यारी जी

गड़ा दो केले के खम्बे जी

दिला दो वेद से फेरे जी।

 

(इस गीत में इसी प्रकार पिता,

चाचा, जीजा, बड़े भाई से यह

गीत सम्बोधित होकर आगे बढ़ता है)

 

2

हम तो हो गए हैरान लाड्डो तेरे लिए…

गोकुल भी ढूँड्या लाड्डो मथुरा भी ढूँड्या

ढूँड्या- ढूँड्या शेरपुर लाड्डो तेरे लिए…

सारे कॉलिज के लड़के भी ढूँड्डे

ढूँड्या- ढूँड्या ये लल्लू लाड्डो तेरे लिए…

बिन्दी भी देंगे लाड्डो टिक्का भी देंगे

देंगे- देंगे ये झूमर लाड्डो तेरे लिए…

Jane Mane Kavi

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