लोकगीत कजरी-कजली Lok Geet Kajri-Kajli

Hindi Kavita

लोकगीत कजरी-कजली
Lok Geet Kajri-Kajli

कजरी या 'कजली' महिलाओं द्वारा गाया जाने वाला समूहगान लोकगीत है। महिलाओं द्वारा समूह में प्रस्तुत की जाने वाली कजरी को 'ढुनमुनियाँ कजरी' कहा जाता है। भारतीय पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष की तृतीया को सम्पूर्ण पूर्वांचल में 'कजरी तीज' पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएँ व्रत करतीं हैं। शक्ति स्वरूपा माँ विंध्यवासिनी का पूजन-अर्चन करती हैं और 'रतजगा' करते हुए कजरी गायन करती हैं। ऐसे आयोजन में पुरुषों का प्रवेश वर्जित होता है। यद्यपि पुरुष वर्ग भी कजरी गायन करता है, किन्तु उनके आयोजन अलग होते हैं।

Lok-Geet-Kajri

लोकगीत कजली हिन्दी

Hindi Lok Geet/ Kajri Geet

देखो सावन में हिंडोला झूलैं - Kajri Geet/ Lok Geet

छैला छाय रहे मधुबन में - Kajri Geet/ Lok Geet

हरि संग डारि-डारि गलबहियाँ - Kajri Geet/ Lok Geet

हरि बिन जियरा मोरा तरसे - Kajri Geet/ Lok Geet

झूला झूलन हम लागी हो रामा - Kajri Geet/ Lok Geet

अजहू न आयल तोहार छोटी ननदी - Kajri Geet/ Lok Geet

तरसत जियरा हमार नैहर में - Kajri Geet/ Lok Geet

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