Braj Bhasha Lok Geet (होली पर कविताएँ)
अरी पकड़ौ री ब्रजनार - braj bhasha lok geet
अरी पकड़ौ री ब्रजनार,
कन्हैया होरी खेलन आयो है,
होरी खेलन आयो है, होरी खेलन आयो है, अरी पकड़ौ री --
संग में हैं उत्पाती बाल,
ऐंठ के चले अदा की चाल,
हाथ पिचकारी फेंट गुलाल
कमोरी, कमोरी रंगन की भर लायो है, अरी पकड़ौ री ---
डारो मुख ऊपर रंग आज,
एक भी सखा जाय नहीं भाज,
लाज को होरी में क्या काज,
बड़े भागन से, बड़े भागन से फागुन आयो है, अरी पकड़ौ री ----
दई आज्ञा वृषभानु-दुलारी,
सब मिल पकड़ो कृष्ण मुरारी,
सखिन सब हल्ला खूब मचायो है, अरी पकड़ौ री --
पीताम्बर मुरली लई छिनाय,
श्याम को गोपी भेस बनाय,
राधा-रानी मन्द-मन्द मुसकाय,
श्याम को घूँघट मार नचायो है, अरी पकड़ौ री ---
अरी होली में हो गया झगड़ा - braj bhasha lok geet
अरी होली में हो गया झगड़ा,
सखियों ने मोहन को पकड़ा ।
धावा बोल दिया गिरधारी
नन्द गाँव के ग्वाले भारी
तक-तक मार रहे पिचकारी
आँख बचाकर कुछ सखियों ने,
झट से मोहन पकड़ा ॥ अरी होली में ---
सखियों के संग भानुदुलारी
ले गुलाल की मुट्ठी भारी
मार रहीं हो गई अँधियारी
दीखे कुछ नहीं तब भी,
सखियों ने मोहन को पकड़ा ॥ अरी होली में ---
सखा-भेष सखियों ने धारा
सब ने मिल के बादल फाड़ा
जाय अचानक फंदा डाला
छैला को कस कर जकड़ा, सखियों ने मोहन पकड़ा ॥ अरी होली में --
आई-आई रे होली - braj bhasha lok geet
आई-आई रे होली, खेलो फाग बीच बरसाने में।
पीली-पीली गुरनारी
रंग भर पिचकारी
देखो मुख पे है मारी
भीगी अंगिया है सारी
आई-आई रे ---
मुख मलो है गुलाल
नाचें दै-दै के ताल
भीज गए नंदलाल
हँसैँ सारे गोपी-ग्वाल
आई-आई रे --
नहीं करत ठिठोली
खा के भाँग की गोली
हम मस्तों की टोली
आज खेले नई होली
आई-आई रे ---
(बाँके बिहारी ने भर पिचकारी,
आज मेरी ओर मारी,
मोरी भीज गई सारी,
मेरी चुनरी बिगारी,
सास देगी मोहे गारी,
कहाँ-से आई दइमारी,
मैं तो लाज की मारी घर कैसे मैं जाऊँ,
कछु समझ न पाऊँ,
सखी रंग लै के आऊँ ऐसी होरी खिलाऊँ,
या के पीछे पड़ जाऊँ,
कारे से गोरो बनाऊँ।)
और महीनों में बरसे–न-बरसे - braj bhasha lok geet
(होली के मस्ती और चुहल भरे गीतों के विपरीत
यह एक शांत रस का अति मधुर गीत है जो सभी
को लुभाता है। यहाँ गायिका समस्त देवी-देवताओं
सहित बच्चे से लेकर 80 बरस के वृद्ध तक पर रंगो
से रस टपकने की कामना करती हुई जब अंत में
कहती है: जय बंसी वाले की, जय बंसी वाले की हम
हू पे बरसे, तो हर कोई बरबस मुस्करा देता है)
और महीनों में बरसे–न-बरसे, फागुनवा में रस रंग-रंग बरसे ।
कान्हा पे बरसे, और राधा पे बरसे
संग-संग !!!! ओ-हो संग-संग सब गोप-गोपिन पे बरसे ॥ फागुनवा में ----
राम जी पे बरसे, और सीता जी पे बरसे
संग-संग !!!! ओ-हो संग-संग प्यारे हनुमत जी पे बरसे ॥ फागुनवा में ----
शिव जी पे बरसे, और गौरा जी पे बरसे
संग-संग !!!! ओ-हो संग-संग प्यारे गणपति पे बरसे ॥ फागुनवा में ----
विष्णु जी पे बरसे, और लक्ष्मी जी पे बरसे
संग-संग में शेषनाग पे बरसे ॥ फागुनवा में ------
ब्रह्मा जी पे बरसे, गायत्री जी पे बरसे
संग-संग !!!! ओ-हो संग-संग में चारों वेदों पे बरसे ॥ फागुनवा में ------
मथुरा पे बरसे, वृन्दावन पे बरसे
संग-संग !!!! ओ-हो संग-संग में बरसाने पे बरसे ॥ फागुनवा में ----
बच्चों पे बरसे, जवानों पे बरसे
उन पे भी !!! ओ हो उन पे भी बरसे जो अस्सी बरस के ॥ फागुनवा में ----
इन पे भी बरसे, और उन पे भी बरसे
जय बंसी वाले की !!!! जय बंसी वाले की हम हू पे बरसे ॥ फागुनवा में
कान्हा तुझे ही बुलाय गई - braj bhasha lok geet
कान्हा तुझे ही बुलाय गई नथ वाली, कान्हा तोहे ही ।
मुझे काहे को बुलाय गई नथ वाली, मोहे काहे को ?
होली खेलन को बुलाय गई नथ वाली, होली खेलन को ।
उस नथ वाली का रूप बताय दे,
बड़े–बड़े नैना कजरा वाली, कान्हा तोहे ही ।
उस नथ वाली का रंग बताय दे,
गोरा-गोरा रंग चटक साड़ी, कान्हा तोहे ही ।
उस नथ वाली का गाँव बताय दे,
बरसाना गाँव बताय गई, कान्हा तोहे ही ।
उस नथ वाली का नाम बताय दे,
राधा नाम बताय गई, कान्हा तोहे ही ।
कान्हा तुझे ही बुलाय गई नथ वाली, कान्हा तोहे ही ।
कान्हा पिचकारी मत मार - braj bhasha lok geet
कान्हा पिचकारी मत मार, चूनर रंग-बिरंगी होय ।
चूनर नई हमारी प्यारे
हे मनमोहन बंसी वारे
इतनी सुन ले नन्द-दुलारे
पूछेगी वह सास हमारी, कहाँ से लीनी भिगोय ॥ कान्हा पिचकारी -----
सबका ढंग हुआ मतवाला
दुखदाई त्योहार निराला
हा-हा करतीं हम ब्रजबाला
राह हमारी अब न रोक रे मैं समझाऊँ तोय ॥ कान्हा पिचकारी ------
मार दीनी रंग की पिचकारी
हँस-हँस कर रसिया बनवारी
भीग गईं सारी ब्रजनारी
राधा ने हरि का पीतांबर खींचा मद में खोय ॥ कान्हा पिचकारी ------
कान्हा पिचकारी मत मारे - braj bhasha lok geet
कान्हा पिचकारी मत मारे, मेरे घर सास लड़ेगी रे
सास लड़ेगी रे, मेरे घर नन्द लड़ेगी रे ॥ कान्हा पिचकारी ---
सास डुकरिया मेरी बड़ी खोटी, गारी दे, ना देगी रोटी
द्योरानी-जिठानी मेरी जनम की दुश्मन, सुबह करेंगी रे ॥ कान्हा पिचकारी
जा-जा झूठ पिया से बोले, एक की चार, चार की सोलह
ननद बिजुलिया जाय पिया के कान भरेगी रे ॥ कान्हा पिचकारी ------
कुछ नहीं बिगड़े श्याम तुम्हारा, मुझे होएगा देश-निकाला
ब्रज की नारी दे ताली, मेरी हँसी करेंगी रे ॥ कान्हा पिचकारी ------
हा-हा खाऊँ पड़ूँ तोरी पइयाँ, डालो श्याम मती गलबहियाँ
नाजुक मोतिन की माला मेरी टूट पड़ेगी रे ॥ कान्हा पिचकारी --
कन्हैया घर चलो गुँइया - braj bhasha lok geet
कन्हैया घर चलो गुँइया, आज खेलें होली कन्हैया घर।
अपने-अपने भवन से निकरीं, कोई सांवल कोई गोरी,
एक-से-एक जबर मदमाती, सोलह बरस की छोरी, कन्हैया घर -----
बंसी बजावत, मन को लुभावत, ऐसो मंत्र पढ़ो री,
सास-ननद से चोरी-चोरी, निकर पड़ीं सब गोरी, कन्हैया घर ------
कोई लचकत कोई मटकत आवत, कोई छुप-छुप चोरी-चोरी,
कोई चपला सी चपल चाल, कोई झिझकत बदन मरोरी, कन्हैया घर ---
अबिर गुलाल अगर और चन्दन, केसर भर पिचकारी,
श्यामसुंदर संग होरी खेलें, होना हो सो हो री। कन्हैया घर --------
खेलें मसाने में होरी दिगम्बर - braj bhasha lok geet
खेलें मसाने में होरी दिगम्बर, खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री ।
भूत-पिसाच बटोरी दिगम्बर, खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री ।
गोप न गोपी न श्याम न राधा
ना कोई रोक न कोई बाधा
ना कोई साजन न गोरी दिगम्बर, खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री ।
लख सुन्दर फागुनी छटा के
मन से रंग गुलाल हटा के
चिता-भस्म भर झोरी दिगम्बर, खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री ।
नाचत-गावत डमरूधारी
भाँग पिलावत गौरा प्यारी (छोड़ें सर्प गरुड़ पिचकारी)
पीटें प्रेत ढपोरी दिगम्बर, खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री ।
भूतनाथ की मंगल होरी
देख-देख के रीझें गौरी
धन्य-धन्य नाथ अघोरी दिगम्बर, खेलें मसाने में होरी, हो!!!!री ।
चैत महिनवा पिया परदेस में - braj bhasha lok geet
चैत महिनवा पिया परदेस में,
जियरा में हूक उठे मोरे रामा, चैत महिनवा।
को बिन सूनी लागे, अंबुआ की डारी,
को बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।
कोयल बिन सूनी, अंबुआ की डारी,
पी बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।
को बिन सूनो लागे, गेंदा को फुलवा,
को बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।
भौंरा बिन सूनो, गेंदा को फुलवा,
पी बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।
जमुना तट श्याम खेलत होरी - braj bhasha lok geet
जमुना तट श्याम खेलत होरी, जमुना तट।
केसर कुमकुम कुसुम सजावत
ग्वाल पुकारत, होरी है होरी, जमुना तट।
खेलन आयो होरी बरजोरी,
अबीर गुलाल लिए झोरी, जमुना तट।
अबीर गुलाल मल्यो मुख मोरे,
पकरि बाँह मोरी झकझोरी, जमुना तट।
दौड़ि दौड़ि पिचकारी चलावत,
कर दीनी मोहे सरबोरी, जमुना तट।
जमुना तट श्याम, खेलत होरी, जमुना तट।
टेसू रंग राम खेलत होरी - braj bhasha lok geet
टेसू रंग राम खेलत होरी, टेसू रंग।
कौन तो पहिने पियरो पीताम्बर, कौन तो
ए जी कौन तो, ए जी कौन तो,
पहिने चीर चुनरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम -----
राम जी तो पहिनैं पियरो पीताम्बर, राम जी तो
ए जी सीता जी तो, ए जी सीता जी तो
पहिनैं चीर चुनरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम -----
कौन के हाथ चन्दन पिचकारी, कौन के
ए जी कौन के, ए जी कौन के,
हाथ गुलाल झोरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम -----
राम जी के हाथ चन्दन पिचकारी, राम जी के
ए जी सीता जी के, ए जी सीता जी के
हाथ गुलाल झोरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम -----
कौन तो न्हावै सरयू के घाट पे, कौन तो
ए जी कौन तो, ए जी कौन तो,
न्हावै आँगन देहरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम -----
राम जी तो न्हावैं सरयू के घाट पे, राम जी तो
ए जी सीता जी तो, ए जी सीता जी तो
न्हावैं आँगन देहरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम --
कौन तो धोवै पियरो पीताम्बर, कौन तो
ए जी कौन तो, ए जी कौन तो,
धोवै चीर चुनरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम -----
सीता जी तो धोवैं पियरो पीताम्बर, सीता जी तो
ए जी राम जी तो, ए जी राम जी तो
धोवैं चीर चुनरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम -----
नैनन से मोहे गारी दई - braj bhasha lok geet
नैनन से मोहे गारी दई, पिचकारी दई,
हो होली खेली न जाय, होली खेली न जाय ।
काहे लंगर लंगुराई मोसे कीन्ही,
केसर-कीच कपोलन दीनी,
लिए गुलाल खड़ा मुसकाय, मोसे नैन मिलाए,
मोपे नेह लुटाय, होली खेली न जाय ॥
जरा न कान करे काहू की,
नजर बचाए भैया बलदाऊ की,
पनघट से घर तक बतराय, मोरे आगे-पीछे आय,
मोरी मटकी बजाय, होली खेली न जाय ॥
चुपके से आय कुमकुमा मारे,
अबीर-गुलाल शीश पे डारे,
यह ऊधम मेरे सासरे जाय, मेरी सास रिसाय,
ननदी गरियाय, होली खेली न जाय ॥
होली के दिनों में मोसे दूनों-तीनों अटके,
शालिग्राम जाय नहीं हट के,
अंग लिपट मोसे हा-हा खाय, मोरे पइयाँ पर जाय,
झूटी कसमें खाय, होली खेली न जाय ॥
(लंगर=नटखट लड़का, लंगुराई=शरारत,
कान करे=बात नहीं सुनता, बतराय=
बात करे, गरियाय=गाली दे, बरजे=मना करे)
नन्द के द्वार मची होलीबाबा - braj bhasha lok geet
नन्द के द्वार मची होरी॥ टेक॥
कै मन लाल गुलाल मँगाई, कै गाड़ी केशर घोरी।
दस मन लाल गुलाल मँगाई, दस गाड़ी केशर घोरी।1।
कौन के हाथ कनक पिचकारी, कौन के साथ रंग की पोरी।
कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी, मनसुख हाथ रंग की पोरी।2।
कै री बरस के कुँवर कन्हैया, कै री बरस राधा गोरी
सात बरस के कुँवर कन्हैया, पाँच बरस की राधा गोरी।3।
घुटुवन कीच भई आँगन में, खेलैं रंग जोरी जोरी
चन्द्रमुखी भजु बालकृष्ण छवि बाबा नंद खड़े पोरी।4॥
दिल की लगी बुझा ले - braj bhasha lok geet
दिल की लगी बुझा ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें
हँस-हँस फाग मना ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें ॥
मेरी राह से हट जा काले, तू तो रोज-रोज मँडरावे
मेरे मन से हट जा काले, तू तो रोज-रोज इठलावे ॥
चटक-मटक है चार दिनों की,
फिकर न कर तू जग वालों की
संग नाच ले गा ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें ॥ दिल की लगी --------
चटक-मटक तो रोज रहेगी, तुझसे मेरी नहीं बनेगी
नहीं नाचूँ नहीं गाऊँ रे, तू तो रोज-रोज मँडरावे ॥
ऐसा समय नहीं फिर आवे, चूक जाए तो फिर पछतावे
हौले से नेक हौले से बतलाय री, तेरे रोज-रोज ना आवें ॥दिल की लगी -----
तेरी होली बारहमासी, करता डोले छिन-छिन हाँसी
मन का कपट मिटा ले रे, तू तो रोज-रोज मँडरावे ॥
तुझको अपना पता बतावें, नन्द भवन में तुझे मिल जावें
एक बार आजमा ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें ॥दिल की लगी -----
मै जानूँ तेरा पता-ठिकाना, नन्द बाबा का नाम लजाना
तुझसे मिले सोई पछतावे, तू तो रोज-रोज मँडरावे ॥ दिल की लगी
नेक आगे आ श्याम - braj bhasha lok geet
नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ
हाँ रे नेक आगे आ, हम्बै नेक आगे आ
नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ।
रंग डारूँ तेरे अंगन सारूँ, रंग डारूँ तेरे अंगन सारूँ लाला,
तेरे गालन पे, तेरे गालन पे, कुलचा मारूँ नेक आगे आ
नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ।
टेढ़ी रे टेढ़ी तेरी पगिया बाँधूँ, टेढ़ी रे टेढ़ी तेरी पगिया बाँधूँ लाला
तेरी पगिया पे, तेरो पगिया पे फुलड़ी डारूँ, नेक आगे आ
नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ।
ब्रज दूल्हा तू छैल अनोखा, ब्रज दूल्हा तू छैल अनोखा लाला
तोपे तन-मन-धन-जोबन वारूँ, नेक आगे आ
नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ।
(नेक=जरा,थोड़ा; कुलचा=बंद मुट्ठी से छोटी उँगली
की तरफ से मारना; पगिया=पगड़ी)
ननदी के बिरन होली आई - braj bhasha lok geet
ननदी के बिरन होली आई रसिया, ननदी के।
कैसी गोरी, कैसे रसिया,
कौन पलंग, कैसे तकिया, ननदी के ॥ ननदी के -----
गोरी गोरी, साँवरे रसिया,
चन्दन पलंग, नरम तकिया, ननदी के ॥ ननदी के -----
रूठ गई गोरी, रूठ गए रसिया,
रोवे पलंग, सिसके तकिया, ननदी के ॥ ननदी के -----
मान गई गोरी, मान गए रसिया,
हँसे पलंग, किलके तकिया, ननदी के ॥ ननदी के -----
भीजेगी मोरी चुनरी - braj bhasha lok geet
भीजेगी मोरी चुनरी, मत रंग डारौ।
टीका के संग-संग, बिंदिया भीजै,
भीजेगी नाक-बेसर, मत रंग डारौ।
झुमकों के संग-संग, लटकन भीजै,
भीजेगी मोरी हँसुली, मत रंग डारौ।
कंगन के संग-संग, चुरियाँ भीजै,
भीजेगी मोरी मुँदरी, मत रंग डारौ।
लहँगा के संग-संग, चोली भीजै,
भीजेगी मोरी चुनरी, मत रंग डारौ।
तगरी के संग-संग, गुच्छा भीजै,
भीजेगी मोरी तिलरी, मत रंग डारौ।
अनवट के संग-संग, बिछिया भीजै,
भीजेगी मोरी पायल, मत रंग डारौ।
मोरी अँखियाँ कर दईं लाल - braj bhasha lok geet
मोरी अँखियाँ कर दईं लाल, नन्द के छलबलिया।
बरसाने के हम हैं बाबा, खेलन निकरीं फाग,
कौन गाँव के तुम हो बाबा, कौन पिता कौन मात,
कौन है जात रसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल
नन्द गाँव के हम हैं बाबा, जसुदा हमरी मात,
राधा जी के हम हैं रसिया, रसिक हमारी जात,
नन्द बाबा हैं तात रसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल ---------
चोट बुरी है, बहुत बुरी है, नैनन की नन्द लाल,
फागुन में मोहे घायल करके, पीछे मल्यो गुलाल,
अरे ओ मनबसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल -----------
बरस मास में फागुन आयो, मत कर गोरी मान,
प्रेम-प्रीत का रंग लगा ले, कर दे सबन निहाल,
रँगीला फाग रसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल -
बरसै केसरिया रंग आज - braj bhasha lok geet
बरसै केसरिया रंग आज बरसाने में।
खेलें श्याम राधिका होरी, संग सखा-सखियाँ की टोली,
छायो फगवा रंग आज बरसाने में ॥ बरसै केसरिया
रंग अबीर भरे हैं झोरी, छेड़-छाड़ और हथ-हिचकोरी,
नाचें राधा संग श्याम बरसाने में ॥ बरसै केसरिया
जमुना जल है लेत हिलोरें, ग्वाल-बाल सब नाचत डोलें,
मुदित यशोदा-नन्द आज बरसाने में ॥ बरसै केसरिया
ब्रज में हरी फाग मचायो - braj bhasha lok geet
ब्रज में हरी फाग मचायो री, ब्रज में हरी।
चहुँ ओर नाचे कृष्ण मुरारी,
भाजीं ब्रजनारी भर पिचकारी,
कीचम-कीच मचायो, ब्रज में हरी।
नीली-पीली ओढ़ चुनरिया,
पनघट पे मिल गईं गुजरिया,
भर गागर छलकायो री, ब्रज में हरी।
कहीं बाजें ढोलक झाँझ मँजीरा,
रंग उड़े कहीं उड़े अबीरा,
सब दिसि आनन्द छायो री, ब्रज में हरी।
मेरा खो गया बाजूबन्द - braj bhasha lok geet
मेरा खो गया बाजूबन्द
1
ऊधम ऐसा मचा ब्रज में, सब केसर रंग उमंगन सींचें
चौपद छज्जन छत्तन, चौबारे बैठ के केसर पीसें ।
भर पिचकारी दई पिय को, पीछे से गुपाल गुलाल उलीचें
अरे एक ही संग फुहार पड़ें, सखी वह हुए ऊपर मैं हुई नीचे ।
ऊपर-नीचे होते-होते, हो गया भारी द्वंद
ना जाने उस समय मेरा, कहाँ खो गया बाजूबन्द ॥
हो मेरा, हो मेरा, हो मेरा)
2
हो मेरा खो गया बाजूबन्द रसिया, ओ रसिया होली में
होली में होली में होली-होली में, ओ रसिया होली में ॥ मेरा खो गया -----
बाजूबन्द मेरा बड़े री मोल का, तुझसे बनवाऊँ पूरे तोल का
सुन!!!! सुन नन्द के परचन्द, ओ रसिया होली में ॥ मेरा खो गया -----
सास लड़ेगी मेरी नन्द लड़ेगी, बलम की सिर पे मार पड़ेगी
तो!! तो हो जाय सब रस भंग, ओ रसिया होली में ॥ मेरा खो गया --
ऊधम तूने लाला बहुत मचाया, लाज-शरम जाने कहाँ धर आया
मैं तो!! मैं तो आ गई तोसे तंग, ओ रसिया होली में ॥ मेरा खो गया --
मेरी तेरी प्रीत पुरानी, तूने मोहन नहीं पहचानी
ओ मुझे!! ओ मुझे ले चल अपने संग, ओ रसिया होली में ॥ मेरा खो गया
(चौपद=चौराहा, छज्जन=छज्जे पर,
छत्तन=छत पर, परचन्द=प्रचण्ड)
मत मारे दृगन की चोट - braj bhasha lok geet
मत मारे दृगन की चोट ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
मैं बेटी वृषभान बाबा की, और तुम हो नन्द के ढोट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
मुझको तो लाज बड़े कुल-घर की, तुम में बड़े-बड़े खोट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
पहली चोट बचाय गई कान्हा, कर नैनन की ओट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
दूजी चोट बचाय गई कान्हा, कर घूँघट की ओट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
तीजी चोट बचाय गई कान्हा, कर लहँगा की ओट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
नन्दकिशोर वहीं जाय खेलो, जहाँ मिले तुम्हारी जोट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
बरसाने में सामरे की होरी रे - braj bhasha lok geet
बरसाने में सामरे की होरी रे॥ टेक
उड़त गुलाल लाल भये बदरा, मारत भरि भरि झोरी रे॥
कै मन तो यानै रंग घुरायौ, कै मन केशरि घोरी रे।
नौ मन तो यानै रंग घुरायो, दस मन केशर घोरी रे।
कौन गाम के कुँवर कन्हैया, कौन गाम की गोरी रे।
नन्दगाँव को कुमर कन्हैया, बरसाने की गोरी रे।
कहा हाथ में कृष्ण कन्हैया, कहा हाथ में लिये गोरी रे।
ढाल हाथ में कुमर कन्हैयाजी, लठा हाथ में गोरी रे।
कहा कर रहे ग्वाल बाल सब, कहा करें सब गोरी रे।
ढाल रोपिरहे ग्वाल बाल सब, लठा चलाय रहीं गोरी रे॥
बसन्ती रंगवाय दूँगी - braj bhasha lok geet
बसन्ती रंगवाय दूँगी जा लाँगुरिया की टोपी॥
जो लाँगुर तौपै कपड़ा नाँयें, जो लाँगुर तौपे...
कपड़ा तोय दिवाय दूँगी, जा लाँगुरिया की टोपी...॥
बसन्ती रंगवाय दूँगी.
जो लाँगुर तोपे सिमाई नायें, जो लाँगुर,
सिमाई मैं मरवाय दूँगी, जा लाँगुरिया की टोपी...॥
बसन्ती रंगवाय दूँगी.
जो लाँगुर तोपे कुर्ता नायें, जो लाँगुर,
दुपट्टा फारि सिमाय दूँगी, जा लाँगुरिया की टोपी...॥
बसन्ती रंगवाय दूँगी.
मति मारौ श्याम पिचकारी - braj bhasha lok geet
मति मारौ श्याम पिचकारी, अब देऊँगी मैं गारी॥ टेक
भीजैगी लाज नई मेरी अँगिया, चूँदरि बिगरैगी न्यारी।
देखैगी सास रिसायेगी मोपै, संग की ऐसी हैं दारी,
हँसेंगी दै-दै तारी॥ मति मारौ.
घाट-बाट सब सों अटकत हौ, लै-लै रारि उधारी।
कहाँ लौं तेरी कुचाल कहौं मैं, एक-एक ब्रजनारी,
जानति करतूत तिहारी॥ मति मारौ.
मूठि अबीर न डारौ दृगन में, दूखेंगी आँखि हमारी।
‘नारायण’ न बहुत इतराबौ, छाँड़ौ डगर गिरधारी,
नये-नये तुम हो खिलारी॥ मति मारौ.
रंगरेजवा बलम जी का यार - braj bhasha lok geet
रंगरेजवा !!!! हो रंगरेजवा बलम जी का यार
हमारी चुनरी ना, हमारी चोली ना रँगी ।
सास की रँग लाया ओढ़नी
अरे सास की रँग लाया ओढ़नी
लखटकिया !!!! ओ लखटकिया ससुर जी की पाग
हमारी चुनरी ना, हमारी चोली ना रँगी ।
जिठ्नी का रँग लाया घाघरा
अरे जिठ्नी का रँग लाया घाघरा
बड़बोला !!! ओ बड़बोला जेठ जी की पाग
हमारी चुनरी ना, हमारी चोली ना रँगी ।
ननदी की रँग लाया साड़ी जी
अरे ननदी की रँग लाया साड़ी जी
चिकनौता!!!!! ओ चिकनौता नंदोई जी की पाग
हमारी चुनरी ना, हमारी चोली ना रँगी ।
हो रंगरेजवा, हो रंगरेजवा, हो रंगरेजवा ! (उसकी ऐसी-तैसी!)
यशुदा तेरे री लाला ने - braj bhasha lok geet
यशुदा तेरे री लाला ने मेरी मटकी फोरी री ।
हम दधि बेचन जात वृन्दावन, मिल ब्रज-गोरी री
गैल रोक ली हमरी और कीनी झकझोरी री ॥ यशुदा तेरे री
दधि सब खाय मटुकिया तोड़ी, बाँह मरोड़ी री
चोरी तो सब जगह होय, तेरे ब्रज में जोरी री ॥ यशुदा तेरे री -------
ले नन्दरानी हमने तेरी नगरी छोड़ी री
नाम बिगाड़े तेरा, बेशरमाई ओढ़ी री ॥ यशुदा तेरे री -------
चुनरी खींच मसक दी ठोड़ी, माला तोड़ी री
पिचकारी की धार मार, उन्ने खेली होली री ॥ यशुदा तेरे री -------
रंगीलो रंग डार गयो री - braj bhasha lok geet
डार गयो री, डार गयो री,
रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
तान दई मम तन पिचकारी,
फ़ट्यो कंचुकी चीर, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
चूनर बिगर गई जरतारी,
कसकत दृगन अबीर, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
जैसे-तैसे इन अँखियन से,
धोय तो डारो अबीर, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
मृदु मुसकाय कान्ह नैनन के,
मारत तीर गंभीर, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
डार गयो री, डार गयो री, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
रंग बाँको साँवरिया डार गयो - braj bhasha lok geet
रंग बाँको साँवरिया डार गयो री,
डार गयो री, रंग डार गयो री,
रंग बाँको साँवरिया डार गयो री।
सारी सुरंग रंग जरतारी,
हो भर पिचकारी, मार गयो री
हो मोपे भर पिचकारी, मार गयो री
रंग बाँको साँवरिया ------ ॥
बइयाँ पकर मोहे झकझोरी
हो झटक चुनरिया फार गयो री
ओ मेरी, झटक चुनरिया फार गयो री
रंग बाँको साँवरिया डार गयो री ॥
दृगन अबीर गुलाल गाल मल
हँस-हँस सैन चलाय गयो री
ओ वो तो, हँस-हँस सैन चलाय गयो री
रंग बाँको साँवरिया डार गयो री ॥
रसिया को नार बनाओ - braj bhasha lok geet
रसिया को नार बनाओ री, रसिया को ।
कटि-लहँगा, गल-माल कंचुकी, वाह रे रसिया वाह!
चुनरी शीश उढ़ाओ री, रसिया को ॥ रसिया को नार ----
बाँह बरा बाजूबन्द सोहे, वाह रे रसिया वाह!
बाँह बरा बाजूबन्द सोहे,
नकबेसर पहनाओ री, रसिया को ॥ रसिया को नार ----
गाल गुलाल दृगन बिच काजल, वाह रे रसिया वाह!
गाल गुलाल दृगन बिच काजल,
बेंदी भाल लगाओ री, रसिया को ॥ रसिया को नार ----
आरसी-कंगन-छल्ला पहनाओ, वाह रे रसिया वाह!
आरसी-कंगन-छल्ला पहनाओ,
पैंजनी पाँव सजाओ री, रसिया को ॥ रसिया को नार ----
श्यामसुंदर पे ताली बजा के, वाह रे रसिया वाह!
श्यामसुंदर पर ताली बजा के,
यशुमती निकट नचाओ री, रसिया को ॥ रसिया को नार ----
होली खेल रहे नन्दलाल - braj bhasha lok geet
1
होली खेल रहे नन्दलाल, वृन्दावन की कुंज गलिन में
वृन्दावन की कुंज गलिन में, वृन्दावन की कुंज गलिन में
होली खेल रहे… संग सखा श्याम के आये, रंग भर पिचकारी लाए
सबका !!!! हो सबका करें हाल बेहाल ॥ वृन्दावन की ----------
चल गली रँगीली आए, ढप-झाँझ-मृदंग बजाए
गाँवें !!!! हो गाँवें नाचें, छेड़ें तान ॥ वृन्दावन की ----------
रंग भर पिचकारी मारी, चूनर की आब बिगारी
मेरे मुख पे !!!! हो मेरे मुख पे मला गुलाल ॥ वृन्दावन की ----------
छवि निरख श्याम की प्यारी, सब भक्त बजावें तारी
सब पर !!!! हो सब पर रंग डाल रहे ग्वाल ॥ वृन्दावन की ----------
2
होली खेल रहे नन्दलाल, वृन्दावन की कुंज गलिन में ।
भर पिचकारी मोहे मारी, टीके की आब बिगारी
अरे मेरी !!! अरे मेरी बिंदिया हुई खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में ।
होली खेल रहे -------
भर पिचकारी मोहे मारी, चूनर की आब बिगारी
अरे मेरी !!! अरे मेरी चोली हुई खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में ।
होली खेल रहे -------
भर पिचकारी मोहे मारी, लहँगे की आब बिगारी
अरे मेरी !!! अरे मेरी तगड़ी हुई खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में ।
होली खेल रहे -------
भर पिचकारी मोहे मारी, पायल की आब बिगारी
अरे मेरे !!! अरे मेरे बिछिए हुए खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में ।
होली खेल रहे --
भर पिचकारी मोहे मारी, गगरी की आब बिगारी
अरे मेरी !!! अरे मेरी ईंडुरी हुई खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में ।
होली खेल रहे -------
गोकुल के कृष्ण मुरारी जाऊँ तुम पे बलिहारी
अरे मेरी !!! अरे मेरी नीयत हुई खराब, वृन्दावन की कुंज गलिन में ।
होली खेल रहे -------
यह छवि निरखें बनवारी, सब सखी बजावें ताली
अरे रंग !!! अरे रंग डाल रहे सब ग्वाल, वृन्दावन की कुंज गलिन में ।
होली खेल रहे -------
मोरे सिर पर गागर भारी, मोहे डगर चालत दीनी गारी
अरे मेरी!!! अरे मेरी बइयाँ दई मरोर, वृन्दावन की कुंज गलिन में ।
होली खेल रहे -------
मेरे सिर की गागर फोरी, मेरे मुख पे मल दई रोरी,
अरे मेरी !!! अरे मेरी चूनर दीनी फार, वृन्दावन की कुंज गलिन में ।
होली खेल रहे -------
मैं नन्द बाबा पे जाऊँ, तेरी सब करतूत सुनाऊँ
अरे तोहे!!! अरे तोहे कोड़न से पिटवाऊँ, वृन्दावन की कुंज गलिन में ।
होली खेल रहे -------
(बिगारी=बिगाड़ी, ईंडुरी=सिर पर पानी की मटकी को
टिकाने के लिए बनाई गई कपड़े की रिंग)
होली खेल रहे शिवशंकर - braj bhasha lok geet
होली खेल रहे शिवशंकर गौरा पार्वती के संग
पार्वती के संग, गौरा पार्वती के संग ॥ होली खेल रहे ---------
कुटी छोड़ शिवशंकर चल दिए, लिए नादिया संग
गले में रुन्डों की माला, और सर्प लपेटे अंग ॥ होली खेल रहे ---------
मनों तो खा गए भाँग-धतूरा, धड़ियों पी गए भंग
एक सेर गाँजा भी पी गए, हुये नशे में दंग ॥ होली खेल रहे ----
रघुवर होली खेल रहे हैं सीता जी के संग
राधे होली खेल रही हैं कान्हा जी के संग ॥ होली खेल रहे --
कामिनियाँ तो खेल रहीं हैं देवर-जेठ के संग
रसिया खेल रहे हैं साली और सलहज के संग ॥ होली खेल रहे --
(नादिया=नंदी, धड़ी=5 सेर,5 किलो से कुछ कम भार)
होली खेल रहे बाँके बिहारी - braj bhasha lok geet
होली खेल रहे, होली खेल रहे, हाँ-हाँ होली खेल रहे,
बाँके बिहारी, आज रंग बरस रहा।
और झूम रही, और झूम रही, और झूम रही,
दुनिया सारी, आज रंग बरस रहा ॥
अबीर-गुलाल के बादल छा रहे,
ओ होरी है, होरी है शोर मचा रहे,
ओ मुट्ठी भर-भर के, भर-भर के, भर के,
गुलाल की मारी, आज रंग बरस रहा ॥ और झूम रही ------
देख-देख सखियों के मन हरषा रहे,
ओ मेरे बाँके बिहारी आज रंग बरसा रहे,
उनके संग-संग में, संग-संग में, संग में,
हैं राधा प्यारी, आज रंग बरस रहा ॥ और झूम रही ------
आज नन्दलाला ने धूम मचाई है,
ओ प्रेम भरी होली की झलक दिखाई है,
ओ रंग भर-भर के, भर-भर के, भर-भर के,
मारी पिचकारी, आज रंग बरस रहा ॥ और झूम रही ------
अबीर गुलाल और टेसू को रंग है,
ओ वृन्दावन-बरसाना झूम रहा संग है,
ओ मैं बार-बार, बार-बार, बार-बार,
जाऊँ बलिहारी, आज रंग बरस रहा ॥ और झूम रही --
होली खेलन पधारे नन्दलाल - braj bhasha lok geet
होली खेलन पधारे नन्दलाल, सखी री बरसाने में,
बरसे-बरसे रे केसर गुलाल, सखी री बरसाने में।
ग्वालन की टोली बरसाने आई,
पीछे-पीछे गोप चले, आगे कन्हाई,
आए उड़ाते गुलाल, सखी री -----
चंग बजावें जी धूम मचावें,
राधा से पहले हमको रिझावें,
ये तो फागुन का दीखे कमाल, सखी री -----
श्यामा सों श्याम जी खेलेंगे होरी,
बरसाने में कोई बचेगी न कोरी,
सब गोपियाँ होवें निहाल, सखी री -----
होली मोसे खेलो न श्याम बिहारी - braj bhasha lok geet
होली मोसे खेलो न श्याम बिहारी
मैं तो पिया की प्यारी दुलारी।
सगरी चूनर रंग में न बोरो,
इतनी अरज हमारी, हमारी
इतनी अरज हमारी ॥ होली मोसे खेलो न -----
सास सुनेगी मोहे आने न देगी,
ननद लड़ेगी मोसे न्यारी, न्यारी
ननद लड़ेगी मोसे न्यारी ॥ होली मोसे खेलो न
तुम तो लंगर नेक नहीं जानो,
आखिर जात अनाड़ी, अनारी
आखिर जात अनारी ॥ होली मोसे खेलो न
हाथ जोड़ के पइयाँ परूँ मैं,
जाने दो हमको मुरारी, मुरारी
जाने दो हम को मुरारी ॥ होली मोसे खेलो न
होली खेलन को आए - braj bhasha lok geet
होली खेलन को आए हैं नवल रसिया, होली खेलन को।
रंग-बिरंगे भेस हमारे, रंग मँगाए घोल,
बरसाने की बजे डफलिया, नन्द गाँव के ढ़ोल,
बजाए रसिया, बजाए रसिया, होली खेलन को।
चोवा चन्दन केसर कुमकुम, भर-भर थाल सजाए,
ओ बरसाने वाली गुजरी, काहे ढेर लगाए,
बुलाए रसिया, बुलाए रसिया, होली खेलन को।
बच के रहे न कोई हम से, चाहे चढ़े अटारी,
डारो-डारो रे रंग डारो, नर होवे या नारी,
रंग छाए रसिया, रंग छाए रसिया, होली खेलन को।
होरी मैं खेलूँगी उन संग - braj bhasha lok geet
होरी मैं खेलूँगी उन संग
जो पिया आवेंगे ब्रज में पलट के,
होरी मैं खेलूँगी उन संग डट के ॥ जो पिया आवेंगे -----
जो पिया मोसे रार करेंगे,
तो गारी मैं देऊँगी घुँघटा पलट के ॥ जो पिया आवेंगे -----
एक-एक पिचकरा ऐसो दे मारूँ,
कुँवर कन्हाई के नैनों में खटके ॥ जो पिया आवेंगे -----
होरी खेलें रघुबीरा अवध में - braj bhasha lok geet
होरी खेलें रघुबीरा अवध में होरी खेलें रघुबीरा,
भई महलन में भीरा, अवध में होरी खेलें रघुबीरा।
कौन के हाथ कनक पिचकारी,
कौन के हाथ अबीरा, अबीरा, होरी खेलें रघुबीरा।
राम के हाथ कनक पिचकारी,
लछमन हाथ अबीरा, अबीरा, होरी खेलें रघुबीरा।
कौन के हाथ है चंग झाँझ ढप,
कौन के हाथ मँजीरा, मँजीरा, होरी खेलें रघुबीरा।
भरत के हाथ है चंग झाँझ ढप,
शत्रुघन हाथ मँजीरा, मँजीरा, होरी खेलें रघुबीरा।
कौन की भीजे सतरंग चूनर,
कौन को भीजे सरीरा, सरीरा, होरी खेलें रघुबीरा।
सिया की भीजे सतरंग चूनर,
सखियन को भीजे सरीरा, सरीरा, होरी खेलें रघुबीरा।
होरी कौ खिलार - braj bhasha lok geet
होरी कौ खिलार, सारी चूंदर डारी फार॥ टेक
मोतिन माल गले सों तोरी, लँहगा फरिया रंग में बोरी।
कुमकुम मूँठा मारे मार॥ होरी कौ.
ऐसौ निडर ढीठ बनवारी, तक मारत नैनन पिचकारी,
कर सों घूँघट-पट देत टार॥ होरी कौ
राह चलत में बोली मारै, चितवन सौं घायल कर डारे॥
ग्वाल-बाल संग लिये पिचकार॥ होरी कौ.
भरि-भरि झोर अबीर उड़ावै, केशर कीच कुचहिं लगावै।
या ऊधम सों हम गईं हार॥ होरी कौ.
ननद सुने घर देवै गारी, ऐसे निलज्ज भये गिरधारी॥
विनय करत कर जोर तुम्हार॥ होरी कौ.
जब सों हम ब्रज में हैं आई, ऐसी होरी नाहिं खिलाई।
दुलरौ तिलरो तौरौ हार॥ होरी कौ.
कसकत आँख गुलाल है डाला, बड़े घरन की हम ब्रजबाला।
तुम ठहरे ग्वारिया गँवार॥ होरी कौ.
ऐसौ ऊधम तुम नित ठानौ, लाख कहैं पर एक न मानों,
बलिहारी हम ब्रज की नार॥ होरी कौ.
धनि-धनि होरी के मतवारे, प्रेमिन-भक्तन प्रान पियारे।
‘अवधबिहारी’ चरन चित धार॥ होरी कौ.
होरी खेली न जाय - braj bhasha lok geet
नैनन में पिचकारी दई, मोय गारी दई,
होरी खेली न जाय, होरी खेली न जाय॥ टेक
क्यों रे लँगर लँगराई मोते कीनी, ठाड़ौ मुस्काय॥ होरी.
नेक नकान करत काहू की, नजर बचावै भैया बलदाऊ की।
पनघट सौ घर लौं बतराय, घर लौं बतराय॥ होरी.
औचक कुचन कुमकुमा मारै, रंग सुरंग सीस ते ढारै।
यह ऊधम सुनि सासु रिसियाय, सुनि सासु रिसियाय॥ होरी.
होरी के दिनन मोते दूनौ अटकै, सालिगराम कौन याहि हटकें।
अंग लिपटि हँसि हा हा खाय॥ होरी.
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