होली पर कविता Holi Per Kavita

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होली पर कविता 
Holi Per Kavita

पाठकों जैसा की आप जानते है कि भारत के मुख्य त्योहारों मे होली (HOLI) का अपना अलग स्थान है भारत के प्रत्येक राज्य मे होली अपने रीत-रिवाज से मनाई जाती है। होली पर फाग गीत, होली के फ़िल्मी गीत पर नाचना, होली पर कविता, होली पर मुशायरा का आयोजन किया जाता है। 

होली के त्यौहार पर हम आपके लिए होली पर कविता लाये है आशा करते है कि आपको बहुत पसंद आएगी। 
   

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की होली पर कविताएँ

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’-पवित्र पर्व

नज़ीर अकबराबादी - होली पर कविताएँ

हुआ जो आके निशाँ आश्कार होली का - नज़ीर अकबराबादी

बुतों के ज़र्द पैराहन में इत्र चम्पा जब महका - नज़ीर अकबराबादी

बजा लो तब्लो तरब इस्तमाल होली का - नज़ीर अकबराबादी

होली पिचकारी - नज़ीर अकबराबादी

जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की - नज़ीर अकबराबादी

होली की बहार - नज़ीर अकबराबादी

जब खेली होली नंद ललन - नज़ीर अकबराबादी

क़ातिल जो मेरा ओढ़े इक सुर्ख़ शाल आया - नज़ीर अकबराबादी

फिर आन के इश्रत का मचा ढंग ज़मी पर - नज़ीर अकबराबादी

मियां तू हमसे न रख कुछ गुबार होली में - नज़ीर अकबराबादी

जुदा न हमसे हो ऐ ख़ुश जमाल होली में - नज़ीर अकबराबादी

मिलने का तेरे रखते हैं हम ध्यान इधर देख - नज़ीर अकबराबादी

आ झमके ऐशो-तरब क्या क्या - नज़ीर अकबराबादी

आलम में फिर आई तरब उनवान से होली - नज़ीर अकबराबादी

होली की बहार आई फ़रहत की खिलीं कलियां - नज़ीर अकबराबादी

जब आई होली रंग भरी - नज़ीर अकबराबादी

होली की रंग फ़िशानी से है रंग - नज़ीर अकबराबादी

सनम तू हमसे न हो बदगुमान होली में - नज़ीर अकबराबादी

होली हुई नुमायां सौ फ़रहतें सभलियां - नज़ीर अकबराबादी

जो ज़र्द जोड़े से ऐ यार! तू खेले होली - नज़ीर अकबराबादी

उनकी होली तो है निराली जो हैं मांग भरी - नज़ीर अकबराबादी

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भारतेंदु हरिश्चंद्र - होली पर कविताएँ

होली - भारतेंदु हरिश्चंद्र

गले मुझको लगा लो ऐ दिलदार होली में - भारतेंदु हरिश्चंद्र

बसंत होलीा - भारतेंदु हरिश्चंद्र

अमीर खुसरो - होली पर कविताएँ

दैया री मोहे भिजोया री - अमीर खुसरो

आज रंग है ऐ माँ रंग है री - अमीर खुसरो

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सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला - होली पर कविताएँ

केशर की, कलि की पिचकारी-सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

खेलूंगी कभी न होली-सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

ख़ून की होली जो खेली-सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

मैथिलीशरण गुप्त - होली पर कविताएँ

होली - मैथिलीशरण गुप्त

होली-होली-होली - मैथिलीशरण गुप्त

दुष्यन्त कुमार - होली पर कविताएँ

होली की ठिठोली-ग़ज़ल - दुष्यन्त कुमार

हरिवंशराय बच्चन - होली पर कविताएँ

होली -हरिवंशराय बच्चन

विश्व मनाएगा कल होली - हरिवंशराय बच्चन

खेल चुके हम फाग समय से - हरिवंशराय बच्चन

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ब्रजभाषा लोकगीत होरी/होली होली पर लोकगीत

अरी पकड़ौ री ब्रजनार - ब्रजभाषा लोक गीत

अरी होली में हो गया झगड़ा - ब्रजभाषा लोक गीत

आई-आई रे होली - ब्रजभाषा लोक गीत

और महीनों में बरसे–न-बरसे - ब्रजभाषा लोक गीत

कान्हा तुझे ही बुलाय गई - ब्रजभाषा लोक गीत

कान्हा पिचकारी मत मार - ब्रजभाषा लोक गीत

कान्हा पिचकारी मत मारे - ब्रजभाषा लोक गीत

कन्हैया घर चलो गुँइया - ब्रजभाषा लोक गीत

खेलें मसाने में होरी दिगम्बर - ब्रजभाषा लोक गीत

चैत महिनवा पिया परदेस में - ब्रजभाषा लोक गीत

जमुना तट श्याम खेलत होरी - ब्रजभाषा लोक गीत

टेसू रंग राम खेलत होरी - ब्रजभाषा लोक गीत

नैनन से मोहे गारी दई - ब्रजभाषा लोक गीत

नन्द के द्वार मची होलीबाबा - ब्रजभाषा लोक गीत

दिल की लगी बुझा ले - ब्रजभाषा लोक गीत

नेक आगे आ श्याम - ब्रजभाषा लोक गीत

ननदी के बिरन होली आई - ब्रजभाषा लोक गीत

भीजेगी मोरी चुनरी - ब्रजभाषा लोक गीत

मोरी अँखियाँ कर दईं लाल - ब्रजभाषा लोक गीत

बरसै केसरिया रंग आज - ब्रजभाषा लोक गीत

ब्रज में हरी फाग मचायो - ब्रजभाषा लोक गीत

मेरा खो गया बाजूबन्द - ब्रजभाषा लोक गीत

मत मारे दृगन की चोट - ब्रजभाषा लोक गीत

बरसाने में सामरे की होरी रे - ब्रजभाषा लोक गीत

बसन्ती रंगवाय दूँगी - ब्रजभाषा लोक गीत

मति मारौ श्याम पिचकारी - ब्रजभाषा लोक गीत

रंगरेजवा बलम जी का यार - ब्रजभाषा लोक गीत

यशुदा तेरे री लाला ने - ब्रजभाषा लोक गीत

रंगीलो रंग डार गयो री - ब्रजभाषा लोक गीत

रंग बाँको साँवरिया डार गयो - ब्रजभाषा लोक गीत

रसिया को नार बनाओ - ब्रजभाषा लोक गीत

होली खेल रहे नन्दलाल - ब्रजभाषा लोक गीत

होली खेल रहे शिवशंकर - ब्रजभाषा लोक गीत

होली खेल रहे बाँके बिहारी - ब्रजभाषा लोक गीत

होली खेलन पधारे नन्दलाल - ब्रजभाषा लोक गीत

होली मोसे खेलो न श्याम बिहारी - ब्रजभाषा लोक गीत

होली खेलन को आए - ब्रजभाषा लोक गीत

होरी मैं खेलूँगी उन संग - ब्रजभाषा लोक गीत

होरी खेलें रघुबीरा अवध में - ब्रजभाषा लोक गीत

होरी कौ खिलार - ब्रजभाषा लोक गीत

होरी खेली न जाय - ब्रजभाषा लोक गीत

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