रात के हाथ से दिन निकलने लगे - वसीम बरेलवी Raat ke Haath Se Din Nikalane Lage - Waseem Barelvi

Hindi Kavita

Hindi Kavita
हिंदी कविता

रात के हाथ से दिन निकलने लगे - वसीम बरेलवी
Raat ke Haath Se Din Nikalane Lage - Waseem Barelvi

रात के हाथ से दिन निकलने लगे
जायदादो के मािलक बदलने लगे

एक अफ़वाह सब रौनक़े ले गयी
देखते-देखते शह्र जलने लगे

म तो खोया रहूंगा तेरे प्यार मे
तू ही कह देना, जब तू बदलने लगे
Wasim-Barelvi
सोचने से कोई राह मिलती नही
चल दिए है तो रस्ते निकलने लगे

छीन ली शोहरतों ने सब आज़ािदयां
राह चलतो सेरिश्ते िनकलने लगे

(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Wasim Barelvi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(मेरा क्या - बरेलवी) #icon=(link) #color=(#2339bd)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!